नई दिल्ली
आज डॉक्टर्स डे है। डॉक्टर्स यानी हमारे चिकित्सक, जो हमें हर रोग और दर्द से आराम दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत और पूरा ज्ञान लगा देते हैं। तभी तो इन्हें भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। हम भले ही डॉक्टर्स को भगवान का दूसरा रूप कह लें या साक्षात भगवान...लेकिन हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि जब स्वयं भगवान इंसान का रूप लेकर इस धरती पर आए थे तब समस्याओं और कष्टों से उनका भी सामना हुआ था...ऐसा ही सामना हमारे डॉक्टर्स भी करते हैं, अपने मरीजों का इलाज करते समय कई बार खुद उनकी जान पर खतरा मंडराने लगता है। आज हम डॉक्टर्स के वैसे ही
-इस समय कोरोना महामारी ने दुनियाभर में आतंक मचा रखा है। हर तरफ हेल्थ एक्सपर्ट्स और मेडिकल प्रफेशन से जुड़े लोग इस बीमारी का तोड़ खोजने में लगे हैं। अब तक इस बीमारी का कोई हल तो नहीं निकल पाया लेकिन हमारे कई बहादुर डॉक्टर्स मरीजों को बचाते-बचाते इस संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे। इस बीमारी से जुड़ा एक डरावना अनुभव दिल्ली की लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर विद्या शर्मा के साथ हुआ।
-विद्या सर्जन तो हैं ही लेकिन एक 5 साल के बच्चे की मां हैं और खुद प्रेग्नेंट भी हैं। कोरोना पैंडेमिक के बीच परिवार ने उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी लेने की सलाह दी। लेकिन कुछ पेशंट्स की गंभीर स्थिति के चलते विद्या ने ऐसा ना करने का फैसला लिया। उन्होंने ठान लिया कि जब तक वे अपने पेशंट्स की सर्जरी और उनकी केयर कर सकती हैं, तब तक करेंगी। लेकिन इसी बीच उन्हें पता चलता है कि जिस पेशंट का उन्होंने पिछले दिनों ऑपरेशन किया था, जिसमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे, वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई है...यह कोरोना संक्रमण के उस शुरुआती चरण की बात है, जब इस बीमारी के बारे में वैज्ञानिक अधिक से अधिक जानकारी जुटाने के प्रयासों में लगे थे।
डॉक्टर्स का जीवन और उनके संघर्ष
-इस बात को जानने के बाद डॉक्टर विद्या टेंशन में तो आईं लेकिन फिर हिम्मत बांधी और निर्णय लिया कि वे जल्द से जल्द अपना कोरोना टेस्ट कराएंगी और इससे पहले खुद को होम आइसोलेशन में रखेंगी ताकि परिवार और दूसरे मरीजों को खतरा ना हो। विद्या यह सब प्लानिंग कर शाम को हॉस्पिटल से घर जाने की तैयारी कर ही रहीं थीं कि उनकी मेड का फोन आया और उसने कहा 'दीदी, जल्दी घर आ जाइए आपके बेटे को तेज बुखार हो रहा है...' विद्या तुरंत घर के लिए निकलीं और जाकर बेटे को दवाई दी। उनका 5 साल का बेटा बुखार से तप रहा था।
-डॉक्टर विद्या के पति सायकाइट्रिस्ट हैं और उन्होंने तुरंत अपने पति को फोन कर घर आने के लिए कहा। जैसे ही उनके हज्बंड घर पहुंचे डॉक्टर विद्या फूट-फूटकर रोने लगीं... दरअसल यह एक डॉक्टर नहीं बल्कि बुखार में तपते एक छोटे बच्चे की मां रो रही थी। विद्या खुद अपने बच्चे के बुखार के लिए खुद को दोषी मान रहीं थीं और उनके मन में बार-बार यही खयाल आ रहा था कि अपने मरीजों से कोरोना का संक्रमण लाकर उन्होंने अनजाने में ही सही अपने बच्चे को बीमार बना दिया। वो इस कदर टूट गईं थीं कि उन्होंने हॉस्पिटल फोन कर अपने सीनियर्स से रोते हुए बताया कि अब वो अपनी सेवाएं जारी नहीं रख पाएंगी क्योंकि उनकी वजह से उनका बच्चा बीमार हो गया है...
-खैर, सभी ने उन्हें हिम्मत बंधाई और ईश्वर की कृपा से उनका बच्चा कोरोना नेगेटिव निकला और जल्दी ही ठीक हो गया... लेकिन आप और हम इस बात की कल्पना जरूर कर सकते हैं कि बतौर मां और बतौर गर्भवती महिला डॉक्टर विद्या किस तरह के मानसिक संघर्ष से गुजरी होंगी...ये बहादुर मां और समर्पित डॉक्टर इस घटना के 3 दिन बाद ही फिर से अपने मरीजों की सेवा में जुट गई... NBT ऑनलाइन की टीम ऐसे समर्पित डॉक्टर्स को उनकी सेवाओं और जज्बे के लिए नमन करती है...।।
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