वास्तु विज्ञान किसी भवन में दिशाओं के उचित प्रयोग द्वारा अधिकतम लाभ प्राप्त करने की एक प्राचीन भारतीय पद्धति है। वास्तु शास्त्र में कई नियमों का उल्लेख किया गया है जो स्वास्थ्य, वित्तीय, वैवाहिक एवं शिक्षा तथा करियर में लाभ प्राप्त करने में सहायता करते हैं। भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता माना गया है,इसलिए उनके सम्मान और सुख-सुविधा का ध्यान रखना अति आवश्यक है। घर में गेस्ट रूम के स्थान को निर्धारित करने के लिए वास्तु में कुछ नियम बताए गए हैं। गेस्ट रूम को वास्तु-शास्त्र के नियमों के अनुरूप घर की सही दिशा में स्थापित करना चाहिए जिससे अतिथि के साथ अच्छे एवं सम्मानजनक संबंध स्थापित हो सके।
अलग-अलग दिशाओं में बना मेहमानों का कमरा आपके जीवन एवं संबंधों को अलग-अलग प्रकार से प्रभावित करता है। पूर्व दिशा में बना अतिथियों का कमरा,अतिथियों के साथ आपके अच्छे संबंधों और सहयोग को बढ़ाता है।वहीं अतिथि कक्ष के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा आदर्श स्थान है यह कोना निरन्तर चलायमान एवं गति को प्रदर्शित करता है क्योंकि इस दिशा के अधिपति वायु देव है जिनकी प्रकृति निरन्तर चलायमान है अतः मेहमान शीघ्र अच्छे संबंधों को बनाए रखते हुए घर से विदा होंगे। 'अतिथि देवो भवः' की परंपरा के अनुसार ईश की दिशा उत्तर-पूर्व में मेहमानों का कमरा बनाया जा सकता है।
दक्षिण-पूर्व दिशा में मेहमानों का कमरा बनाने से परहेज करना चाहिए क्यों कि यह धन आगमन की दिशा मानी जाती है।इस जोन में अतिथि कक्ष होने से धनप्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती है। यश और प्रसिद्धि का दिशा क्षेत्र दक्षिण दिशा में भी अतिथि कक्ष नहीं बनाएं, ऐसा करने से समाज में आपकी पहचान चमक फीकी हो सकती है। दक्षिण-पश्चिमी कोने में अतिथि कक्ष का निर्माण नही किया जाना चाहिए क्योंकि यह कोना वास्तु-शास्त्र के अन्तर्गत केवल घर मालिक के लिए निर्धारित है।पश्चिम जोन में गेस्टरूम होने से आपको, आपके कार्यों में अस्थाई तौर पर ही लाभ प्राप्त होंगे।इसलिए इस दिशा में गेस्टरूम नहीं होना चाहिए। करियर के दिशा क्षेत्र उत्तर में यदि मेहमानों का कमरा हो तो आपके जीवन में तरक्की के नए अवसर भी अस्थाई होकर मेहमान की तरह ही आएँगे इसलिए इस दिशा में भी अतिथि कक्ष नहीं होना चाहिए।
दक्षिण-पूर्व दिशा में मेहमानों का कमरा बनाने से परहेज करना चाहिए क्यों कि यह धन आगमन की दिशा मानी जाती है।इस जोन में अतिथि कक्ष होने से धनप्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती है। यश और प्रसिद्धि का दिशा क्षेत्र दक्षिण दिशा में भी अतिथि कक्ष नहीं बनाएं, ऐसा करने से समाज में आपकी पहचान चमक फीकी हो सकती है। दक्षिण-पश्चिमी कोने में अतिथि कक्ष का निर्माण नही किया जाना चाहिए क्योंकि यह कोना वास्तु-शास्त्र के अन्तर्गत केवल घर मालिक के लिए निर्धारित है।पश्चिम जोन में गेस्टरूम होने से आपको, आपके कार्यों में अस्थाई तौर पर ही लाभ प्राप्त होंगे।इसलिए इस दिशा में गेस्टरूम नहीं होना चाहिए। करियर के दिशा क्षेत्र उत्तर में यदि मेहमानों का कमरा हो तो आपके जीवन में तरक्की के नए अवसर भी अस्थाई होकर मेहमान की तरह ही आएँगे इसलिए इस दिशा में भी अतिथि कक्ष नहीं होना चाहिए।
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